लोंगेवाला में भारत-पाक सीमा के निकट तेल खोज कार्य के दौरान मिले चार एंटी टैंक माइंस

जैसलमेर सेक्टर में भारत-पाक सीमा के निकट चार एंटी टैंक माइंस मिले है। ये माइंस ओएनजीसी की तरफ से तेल की खोज के दौरान किए जा रहे कार्य में सामने आए। एंटी टैंक माइंस मिलने की सूचना पर बीएसएफ के अधिकारी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने इन माइंस को अपने कब्जे में ले लिया। ऐसा माना जा रहा है कि ये एंटी टैंक माइंस वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के पश्चात भारतीय सेना की तरफ से चलाए गए ऑपरेशन पराक्रम के दौरान के हो सकते है। फिलहाल बीएसएफ सेना से संपर्क पर इनकी जानकारी दे रही है। 



जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा के निकट स्थित लोंगेवाला क्षेत्र में इन दिनों ओएनजीसी की तरफ से तेल खोज का कार्य चल रहा है। इस दौरान एक स्थान पर की जा रही खुदाई में चार एंटी टैंक माइंस नजर आए। इस पर खुदाई रोक कर बीएसएफ को सूचित किया गया। बीएसएफ के विशेषज्ञों ने मौके पर पहुंच कर इन्हें अपने कब्जे में सुरक्षित रख लिया। इस क्षेत्र में भारत-पाक के बीच हुए वर्ष 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान भीषण लड़ाई लड़ी गई थी। वहीं वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के पश्चत ऑप पराक्रम के तहत पूरी भारतीय सेना को सीमा पर तैनात कर दिया गया था। उसे दौरान बड़ी संख्या में एंटी टैंक माइंस इन क्षेत्रों में बिछाई गई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि ये माइंस ऑप पराक्रम की हो सकती है। 



क्या होता है एंटी टैंक माइंस
एंटी टैंक माइंस एक तरह का विश्पोटक होता है। इसे दुश्मन को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बिछाया जाता है। जमीन में कुछ फीट की गहराई पर ऐसी माएंस को डाल दिया जाता है। इनके ऊपर से टैंक या अन्य भारी वाहन के होकर गुजरने के दौरान दबाव बढ़ने पर इनमें विस्फोट हो जाता है और ऊपर से निकलने वाला वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है। 



क्या था ऑपरेशन पराक्रम
नई दिल्ली में 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने संसद पर हमला किया और देश को हिलाकर रख दिया था। यह न सिर्फ एक ऐसा हमला था जिसने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को एक नया रंग दिया बल्कि एक ऐसा हमला भी बना जिसकी वजह से भारत-पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर करीब एक साल तक जंग के हालात बने हुए थे। यह हमला कारगिल में हुई जंग के बाद हुआ था और जंग के बाद दोनों देशों के बीच पहले से ही तनाव था। हमले के बाद यह तनाव चरम पर पहुंच गया था। संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च हुआ और दोनों देश कारगिल की जंग के ढाई बरस बाद एक बार फिर से आमने-सामने थे। 13 दिसंबर को संसद पर आतंकी हमला हुआ और उसके बाद 15 दिसंबर को ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च किया गया। साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग के बाद यह पहला मौका था जब सेना को पूर्णरूप से एक जगह से दूसरी जगह पर मोबलाइज किया गया था। तीन जनवरी 2002 में मिलिट्री मोबालाइजेशन पूरा हुआ और 16 अक्टूबर 2002 को यह ऑपरेशन खत्म हुआ। इस बीच दो मौके ऐसे आए जब दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए थे। 10 माह तक सभी ऑफिसर्स और जवानों की छुट्टियां तक कैंसिल थीं। 


Popular posts
राजस्थान में104 नए रोगी मिले, दो की मौत भी हुई, सीएम बोले- अब मॉडिफाई लॉकडाउन होगा
अचानक लॉकडाउन हुआ तो फैक्ट्री मालिक ने निकाल दिया, रतनगढ़ से पैदल ही जयपुर पहुंचे...अब सरकार से अनुरोध है-हमें घर पहुंचवा दे
बीलवा फाटक के पास चाैपहिया गाड़ियों में बस गईं घुमंतुओं की बस्तियां, लॉकडाउन में इनके पास केवल जड़ी-बूटियां बचीं, जिनसे पेट नहीं भरता
गुलर की जगह स्पेशल ट्रेन, ना तो वेटिंग टिकट मान्य होगा ना ही चेन पुलिंग होगी, दिल्ली, मुंबई सहित 6 शहरों के लिए नहीं चलेंगी ट्रेनें
मध्यप्रदेश में तपिश के दिन होंगे कम, क्याेंकि जून से मार्च तक हर माह हुई बारिश; वेस्टर्न डिस्टरबेंस से दिन ठंडे
Image