मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस के 16 बागी विधायकों की बेंगलुरु से घर वापसी पर पूरा जोर लगाए हुए हैं। सरकार पर आए संकट को टालने की प्रमुख जिम्मेदारी बुंदेलखंड के दो विधायकों को सौंपी गई है। कक्का के नाम से पहचाने जाने वाले शिवपुरी जिले के पिछोर से कांग्रेस विधायक केपी सिंह बागियों को मनाने के लिए बेंगलुरु रवाना हुए हैं, जबकि टीकमगढ़ के पृथ्वीपुर से विधायक और सरकार में मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर को बागियों के परिवार के लोगों से संपर्क बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
केपी सिंह ने कहा- सरकार बचाने का काम हमारा
केपी सिंह पिछोर विधानसभा सीट से पिछले 25 सालों से जीत रहे हैं। केपी सिंह के सिंधिया परिवार से अच्छे रिश्ते हैं। दिग्विजय सिंह के भी वे करीबी हैं। कमलनाथ सरकार बनने पर उनके समर्थकों को पूरी उम्मीद थी कि कक्का मंत्री बनेंगे, लेकिन सरकार में जगह न मिलने पर उनकी नाराजगी की खबरें भी आईं। अब दिग्विजय और कमलनाथ के कहने पर वे बेंगलुरु गए हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से फोन पर बातचीत में कहा- ‘‘मैं राजनीति की बात नहीं करना चाहता, लेकिन आपको बता रहा हूं कि मैं बेंगलुरु में हूं। सरकार को बचाने का काम हमारा है। परिवार में कोई नाराज हो जाए तो उसे लौटाना मुश्किल है, लेकिन अपना पूरा प्रयास कर रहा हूं।’’ कमलनाथ से नाराजगी की खबरों पर कहा- मैं किसी से नाराज नहीं हूं।
पार्टी छोड़ने से पहले सिंधिया विधायक राठौर के घर गए थे
टीकमगढ़ जिले की पृथ्वीपुर सीट से विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर कमलनाथ सरकार में मंत्री हैं। पार्टी छोड़ने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया उनके घर गए थे। दोनों ओरछा में रामराजा के दर्शन करने खुली जीप से एकसाथ गए थे। सिंधिया तो बृजेंद्र सिंह को विधायकी छोड़ने के लिए तैयार नहीं कर पाए, लेकिन अब बृजेंद्र सिंह बागियों के परिवार के लोगों से बात करके उन्हें कांग्रेस के साथ रहने के फायदे समझा रहे हैं। पार्टी का मनाना है कि बेंगलुरु में अगर केपी सिंह बागियों से बात करने में कामयाब नहीं हुए तो यह राठौर का फॉर्मूला काम करेगा। विधायक अगर अपने परिवार से बात करेंगे तो पार्टी के साथ रहने के फायदे समझ पाएंगे।
कांग्रेस के ‘कक्का’ बागियों को मनाने बेंगलुरु निकले, मंत्री राठौर बागी विधायकों के परिवार को कांग्रेस का साथ देने का फायदा समझा रहे